Dehradunउत्तराखंड

सभी विभाग आपसी सामंजस्य के साथ कार्य करेंः एसीएस

जलस्रोतों के पुनर्जीवन के लिए आमजन में जन-जागरूकता व सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाए

दिनांक/24/6/24

Dehradun/Uttarakhandprime 24×7

देहरादून। अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन की अध्यक्षता में सोमवार को सचिवालय में स्प्रिंग एंड रिवर रिजूविनेशन प्राधिकरण उत्तराखण्ड की राज्य स्तरीय क्रियान्वयन समिति की प्रथम बैठक आयोजित हुयी। बैठक के दौरान अपर मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि सारा के गठन के उद्देश्यों को पूर्ण करने के लिए सभी सम्बन्धित विभाग आपसी सामंजस्य के साथ कार्य करें। उन्होंने कहा कि प्रस्तावों को समिति से स्वीकृत कराने से पूर्व सभी सम्बन्धित विभागों को इसके प्रस्ताव भेज कर विभागों से टिप्पणियां ले ली जाएं।

अपर मुख्य सचिव ने कहा कि सूख रहे जलस्रोतों, नदियों एवं जलधाराओं का शीघ्रातिशीघ्र चिन्हीकरण कराते हुए उपचारात्मक कार्य शीघ्र शुरू किए जाएं। उन्होंने कहा कि परियोजना के मूल्यांकन के लिए मैकेनिज्म तैयार किया जाए, साथ ही, मूल्यांकन एवं निगरानी के लिए समर्पित स्टॉफ की तैनाती की जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि राज्य एवं जिला स्तर पर प्राधिकरण के अंतर्गत कराए जाने वाले कार्यों का श्रेणीकरण करते हुए प्रत्येक वर्ष के लिए लक्ष्य निर्धारित किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि इस वित्तीय वर्ष के लिए वार्षिक कार्ययोजना अगले एक माह में तैयार कर प्रस्तुत की जाए।

अपर मुख्य सचिव ने कहा कि योजना को सफल बनाए जाने हेतु जन जागरूकता की अत्यधिक आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आमजन में वर्षाजल को संरक्षित कर नदियों एवं जलस्रोतों के पुनर्जीवन के लिए आमजन में जन-जागरूकता सहित सक्रिय भागीदारी भी सुनिश्चित की जाए। उन्होंने परियोजनाओं के लिए जनपदों को समय पर बजट आबंटित किए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने योजनाओं के ससमय क्रियान्वयन के लिए कैलेण्डर तैयार किए जाने के भी निर्देश दिए।

बैठक के दौरान समिति द्वारा प्रथम चरण में दीर्घावधिक उपचार हेतु प्रदेश की 5 नदियों सौंग (देहरादून-टिहरी), पूर्वी एवं पश्चिमी नयार (पौड़ी), शिप्रा (नैनीताल) एवं गौड़ी (चम्पावत) को चयनित किया गया। अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी सारा नीना ग्रेवाल ने बताया कि प्रदेश में अप्रैल 2024 से अगस्त 2024 तक जल संरक्षण अभियान आयोजित किया जा रहा है, साथ ही 10 जून से 16 जून 2024 तक जल उत्सव सप्ताह का भी आयोजन किया गया था। उन्होंने बताया कि प्रदेशभर में उपचार हेतु अभी तक कुल 5428 जलस्रोत चिन्हित किए गए हैं। इस अवसर पर राज्य स्तरीय क्रियान्वयन समिति के सदस्यों सहित सम्बन्धित विभागों के विभागाध्यक्ष उपस्थित थे।

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