कीड़ा-जड़ी के लिए चमोली जिले में संकलन केंद्र खोला जाएगाः डॉ. मनसुख मांडविया
देहरादून। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया दो दिवसीय दौरे पर उत्तराखंड पहुंचे। सुबह जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत और मंत्री मदन कौशिक ने उनका स्वागत किया। इसके बाद वे हेलीकॉप्टर से दोपहर 12 बजे चमोली जनपद से लगी चीन सीमा क्षेत्र के मलारी गांव पहुंचे। उन्होंने कहा कि उच्च हिमालयी क्षेत्र में पाई जाने वाली कीड़ा-जड़ी के लिए चमोली जिले में एक संकलन केंद्र खोला जाएगा। जहां स्थानीय लोग उचित दाम पर इसे बेच सकेंगे। साथ ही उन्होंने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जोशीमठ का नाम चिपको नेत्री गौरा देवी के नाम पर रखने पर भी सहमति व्यक्त की।उन्होंने स्थानीय लोगों से बात की। कहा कि यहां पहुंचकर पता चल रहा है कि सीमांत क्षेत्र के गांवों में भी ज्यादातर मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो रही हैं। उन्होंने ग्रामीणों से केंद्र सरकार की योजनाओं पीएम आवास, उज्जवला योजना, आयुष्मान भारत, फ्री राशन, बिजली, पानी, मोबाइल कनेक्टिविटी आदि के बारे में जानकारी ली। उन्होंने कहा कि सीमांत क्षेत्र में अच्छी सड़कें हैं, नेटवर्क कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य की सुविधाएं बेहतर हुई हैं। सुविधाएं बढ़ने से धीरे-धीरे पलायन कम हो रहा है। वाइब्रेंट विलेज के तहत सब तरह के कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों में हिमालयी क्षेत्र में एडवेंचर गेम्स को लेकर रूचि बढ़ रही है, हमें इस दिशा में भी काम करना है। कहा कि यहां मोबाइल कनेक्टिविटी में सुधार किया जाएगा। उन्होंने सीडीओ डॉ. ललित नारायण मिश्र को वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत सार्वजनिक जीवन उपयोगी और पर्यटन गतिविधियों को बढ़ाने के लिए कहा। मलारी भ्रमण के उपरांत केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री 31 मार्च को वापस देहरादून पहुंचेंगे। जहां पर वह मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में 11ः30 बजे स्वास्थ्य विभाग की विभिन्न योजनाओं का शिलान्यास करेंगे। जिसके अंतर्गत दून मेडिकल कॉलेज के 500 बेड क्षमता के अस्पताल तथा ईसीआरपी-2 एवं प्रधानमंत्री-आयुष्मान भारत हेल्थ इंस्फ्रास्ट्रक्चर मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) के अंतर्गत तीन जनपदों श्रीनगर (पौड़ी), रूद्रप्रयाग व नैनीताल हेतु स्वीकृत 50-50 बेड के तीन क्रिटिकल केयर ब्लॉक का शिलान्यास शामिल है। करीब तीन बजे जौलीग्रांट एयरपोर्ट से वह दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे। देश के उत्तरी सीमा के सामरिक महत्व को देखते हुये भारत सरकार द्वारा वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम शुरू किया गया है जो कि वित्त वर्ष 2022-23 से 2025-26 तक चलेगा। इसके लिये भारत सरकार द्वारा 4800 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जिसमें से 2500 करोड़ रूपये सड़कों के निर्माण पर खर्च किए जाएंगे। इस कार्यक्रम से चार राज्यों एवं एक केंद्र शासित प्रदेश के 19 जिलों और 46 सीमावर्ती ब्लाकों में आजीविका के अवसर और आधारभूत ढांचे को मजबूती मिलेगी। इस कार्यक्रम के पहले चरण में 663 गांवों को शामिल किया गया है, इससे उत्तरी सीमावर्ती क्षेत्र में समावेशी विकास सुनिश्वित हो सकेगा। इस कार्यक्रम से यहां रहने वाले लोगों के लिये गुणवत्तापूर्ण अवसर प्राप्त हो सकेंगे। योजना का उद्देश्य उत्तरी सीमा के सीमावर्ती गांवों में स्थानीय, प्राकृतिक और अन्य संसाधनों के आधार पर आर्थिक प्रेरकों की पहचान और विकास करना तथा सामाजिक उद्यमिता प्रोत्साहन, कौशल विकास तथा उद्यमिता के माध्यम से युवाओं व महिलाओं को सशक्त बनाना है।